Facts About Shodashi Revealed
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
Charitable functions such as donating foodstuff and dresses for the needy are also integral towards the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate facet of the divine.
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।
पुष्पाधिवास विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
करोड़ों सूर्य ग्रहण get more info तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi
Celebrations like Lalita Jayanti spotlight her significance, in which rituals and choices are created in her honor. The goddess's grace is believed to cleanse earlier sins and guide 1 in direction of the last word objective of Moksha.
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥